रविवार, 25 अक्तूबर 2020

ग़ज़ल

  

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✍️ शब्दकार ©

💃 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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जब  से  घर में  आई   साली।

पत्नी  लगने  लगी   पराली।।


साली  इधर  छोड़ती  ख़ुशबू,

उधर  धुआँ दे  पत्नी  काली।


साली  की  मुस्कान  मनोहर ,

पत्नी  रहती    तनी  सवाली।


पूनम  की  है   इधर   चाँदनी,

लगती  सूरजमुखी  मवाली।।


जिस  कोने   में  साली  होती,

लगता  घर में   हुई   दिवाली।


साली  के रँग   लाल ,गुलाबी,

उधर  नहीं दाड़िम की लाली।


रबड़ी ,  मोहनभोग   इधर  हैं,

खाली उधर   इमरती  प्याली।


साली  तो    आनी - जानी है ,

नहीं  समझना   पत्नी  गाली।


'शुभम' हुए मदहोश इधर जो,

सूख गई अमृत  की   प्याली।


💐 शुभमस्तु !


25.10.2020◆10.00पूर्वाह्न।


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