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समांत-आरी।
पदांत- है।
मात्राभार -14.
मात्रा पतन :नहीं है।
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✍️ शब्दकार ©
🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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प्रभु की महिमा न्यारी है।
शूल - फूल की क्यारी है।।
कभी रात है दिवस कभी,
साँझ , सुबह की बारी है।
आँसू हैं मुस्कान कभी,
पुरुष परुष नम नारी है।
सरिता सागर सलिल बहे,
मधुर कहीं जल खारी है।
सबके गुण अपने - अपने ,
नभ हलका भू भारी है।
कटहल ऊबड़ - खाबड़ है,
ख़रबूज़े पर धारी है।
'शुभम' आज पनघट प्यासा,
एक नहीं पनिहारी है।
🪴 शुभमस्तु !
२२ नवंबर २०२१◆११.४५आरोहणं मार्तण्डस्य।
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