मंगलवार, 30 नवंबर 2021

नीति वचनामृत 🌻 [ दोहा ]

   

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✍️ शब्दकार ©

🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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   ☘️    प्रदत्त शब्द    ☘️

[   सत्य ,संकट ,आस्था,प्रेम, विष   ]

        

       🍁   सब में एक 🍁

सत्य ईश का रूप है,अखिल सृष्टि विख्यात।

मात, पिता,गुरु सत्य हैं,आभा रूप प्रभात।।


सत्य नहीं छिपता कभी,छिपता झूठ कुकृत्य।

सत्य उजागर भानुवत,दीपक ज्योति अपत्य।।


संकट यदि आए  कभी,  तजें न   उर का धीर।

सुख न अमर होता कभी,दुख भी अमर न मीर।।


प्रभु सुमिरन मत भूलना,यदि हो संकट काल।

एक   वही  त्राता अभय,  बन जाता शुभ ढाल।।


मात, पिता, गुरु,ईश  की, आस्था की पतवार।

करती   तरणी   पार  वह,  बहती जीवन धार।।


आशा  हो स्थित जहाँ,प्रतिपल प्रणत प्रणाम।

वहीं   भक्ति है प्रेम है,सत आस्था का  धाम।।


प्रेम जहाँ  निश्छल  बसे,बसते उसमें  ईश।

राम भक्त हनुमान जी,जय बजरंग कपीश।।


पति-पत्नी  के  प्रेम का,नाम प्रणय हे मीत।

प्रेम रहे अविचल सदा,जीवन है    संगीत।।


टूट गया  विश्वास  जो,मानो विष का  बिंदु।

छू  गौतम सहधर्मिणी, बना पातकी  इंदु।।


मिष्ट वाक अमृत सदा,कटुक वाक विष बाण

एक त्राण दे मनुज को,हरता दूजा   प्राण।।


            🌻 एक में सब🌻

विष न प्रेम में घोलिए,

                      यही सत्य है तात।

संकट में त्यागें नहीं,

              'शुभम'   आस्था भ्रात।।


🪴 शुभमस्तु !


३०.११.२०२१◆१०.४५आरोहणं मार्तण्डस्य।


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