रविवार, 14 नवंबर 2021

आप अबल नहीं हैं! 🦁 [ गीत ]

  

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✍️ शब्दकार ©

🦁 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम' 

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अपने  को अबल नहीं  मानें।

हैं  आप  सबल  मन में ठानें।।


मन   जो    हारा , हार गया।

वह स्वयं आपको मार गया।।

मन की मस्ती का रस छानें।अपने...


रथवाह आपके  तन-रथ  का।

मन ही प्राजक जीवन- पथ का।।

वल्गा को सदा उचित तानें।अपने...


इन्द्रियाँ अश्व दस  चंचल भी।

चाहतीं नियंत्रण   संबल भी।।

साँची न दिशा  उनकी जानें।अपने...


अति मुक्ति नहीं  इनको देना।

तरणी को आप  स्वयं खेना।।

दस करण लगें यदि उकताने।अपने...


बन अबल पाप  क्यों है लेना?

सब उचित काम उनको देना।।

थक जाएँ 'शुभम'उनकी रानें।

अपने को अबल   नहीं मानें।।


🪴 शुभमस्तु !


१४.११.२०२१◆१०.१५ आरोहणं मार्तण्डस्य।


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