मंगलवार, 9 नवंबर 2021

सजल 💦


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समांत-आर।

पदांत-हमारा।

मात्रा भार-16.

मात्रा पतन-नहीं।

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✍️ शब्दकार ©

🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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बदल     रहा      संसार   हमारा।

कहाँ    शेष    वह    प्यार हमारा।


शब्द    खोखले    खन-खन बजते,

नेह      हुआ       व्यापार   हमारा।


चरणों     से   घुटनों    तक   आया,

कृत्रिम          है      आचार हमारा।


सूखी       सरिता      संस्कार  की,

धूमिल    जल   -   आगार   हमारा।


कागज़    के    पुष्पों     पर  मोहित,

शोभित    गृह    का     द्वार  हमारा।


मात  - पिता       को   भूली संतति,

अर्थहीन         घर    -   बार   हमारा।


'शुभम'       नहीं      कर्तव्य निभाते,

कहते       यह      अधिकार हमारा।


🪴 शुभमस्तु !


०८.११.२०२१◆१०.३० आरोहणं मार्तण्डस्य।


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