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समांत-आर।
पदांत-हमारा।
मात्रा भार-16.
मात्रा पतन-नहीं।
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✍️ शब्दकार ©
🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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बदल रहा संसार हमारा।
कहाँ शेष वह प्यार हमारा।
शब्द खोखले खन-खन बजते,
नेह हुआ व्यापार हमारा।
चरणों से घुटनों तक आया,
कृत्रिम है आचार हमारा।
सूखी सरिता संस्कार की,
धूमिल जल - आगार हमारा।
कागज़ के पुष्पों पर मोहित,
शोभित गृह का द्वार हमारा।
मात - पिता को भूली संतति,
अर्थहीन घर - बार हमारा।
'शुभम' नहीं कर्तव्य निभाते,
कहते यह अधिकार हमारा।
🪴 शुभमस्तु !
०८.११.२०२१◆१०.३० आरोहणं मार्तण्डस्य।
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