रविवार, 28 नवंबर 2021

आसमान में तारे ✨ [बाल कविता ]

 

★★★★★★★★★★★★★★★

  ✍️शब्दकार

✨ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

★★★★★★★★★★★★★★★

आसमान  में  टिमटिम   तारे।

लगते  नयनों को अति प्यारे।।


भानु रोज  अस्ताचल   जाता।

अँधियारा वह   लेकर आता।।


तारे   खेलें   आँख   मिचौनी।

लगते हैं मटकी   की  लौनी।।


सारी  रात    नहीं    सोते  हैं।

हँसते  सदा  नहीं   रोते    हैं।।


झलकें    जैसे    फूले   बेला।

बिखरा  है   अंबर   में  रेला।।


नदिया के जल के  उजियारे।

आसमान    के   सारे   तारे।।


सँग में    आते    चंदा  मामा।

पीला  पहने   हुए    पजामा।।


'शुभम' न दिन में वे दिख पाते।

जाने  कहाँ    चले   सब जाते।।


चमक   रहे  वे  अद्भुत  न्यारे।

आसमान में झिलमिल तारे।।


🪴 शुभमस्तु !

२७.११.२०२१★९.००आरोहणं मार्तण्डस्य।

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