357/2022
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✍️ शब्दकार ©
🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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समय - सूचिका घंटिका, शोभा का शृंगार।
पानी भरती कूप पर,बाँध कलाई नार।।
शाला का घंटा बजा,किया छात्र प्रस्थान,
कसी पेंट घर से चले, पड़ी गाल पर मार।
भीड़ जमा मैदान में, हुई बहुत ही देर,
नेताजी आए नहीं, घंटे बीते चार।।
न्यौता तो था चार का ,बीते घंटे पाँच,
सात बजे के बाद ही,आते रिश्तेदार।
शुभ मुहूर्त देखा गया,दिया न थोड़ा ध्यान,
वेला बीती शुभ घड़ी, ब्याह न द्वारचार।
भारतीयता का बड़ा, गौरव, गर्व,गुमान,
दुलहन उठी न भोर में, सोई पाँव पसार।
'शुभम्' ढोल की पोल का, डंका रव घनघोर,
समय -चोर आंनद में, दिखलाते उपकार।
🪴शुभमस्तु !
०३.०९.२०२२◆८.३०
पतनम मार्तण्डस्य।
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