बुधवार, 7 सितंबर 2022

गुरुजन - मान 🪷 [ सजल ]

 358/2022

 

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● समांत:  आन।

●पदांत:   किया।

●मात्राभार: 16.

●मात्रा पतन: शून्य।

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✍️शब्दकार ©

🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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जिसने    गुरुजन    का   मान किया।

शुभता      का   सत -  संधान किया।।


मानव    की      पहली     गुरु जननी।

जननी  को   कभी    न  म्लान किया।।


पथ     के     तम  -  पुंज   हटा  सारे।

निस्वार्थ    ज्ञान     का     दान किया।।


परहित    में     अर्पित      कर जीवन।

शुचि   दान   ज्ञान   को    छान  किया।।


भटके        राही     को    मिली   राह।

गुरु     ने     गुड़     चीनी   जान किया।।


चेतना        जगाती        चींटी     भी।

पर्वत    चढ़      झंडा   -  गान किया।।


ये      'शुभम्'       न     भूले आजीवन।

गुरुजन     से     अमृत  -  पान  किया।।


🪴 शुभमस्तु !


०५.०९.२०२२◆२.१५आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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