सोमवार, 26 सितंबर 2022

ईश रहित क्या कण- कण होता? 🌳 [ गीतिका ]

 385/2022


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✍️ शब्दकार ©

🦢 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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ईश   रहित     क्या      कण - कण  होता?

ऐसा          भी         कोई    क्षण   होता??


सुखद        शांति        नित   सद्भावों   से,

दुर्भावों          से           ही     रण    होता।


मात     -    पिता      गुरुजन    से     कोई,

मुक्त    न    मानव  -   ऋण -  कण   होता।


बाहर         देख        रहा      तू    मुखड़ा,

मन      के         भीतर     दर्पण     होता।


आते           नहीं       बुरे       दिन      तेरे,

प्रभु        को        सहज   समर्पण   होता।


सोच    समझ     जीवन - पथ  पर    चल,

नहीं     दाँव     का       ये    पण     होता।


'शुभम्'    भिन्न        नर  पशु - पक्षी      से,

प्रभु    -   पद   में        उर   अर्पण    होता।


🪴शुभमस्तु !


२६.०९.२०२२◆७.००आरोहणम् मार्तण्डस्य।


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