मंगलवार, 20 सितंबर 2022

आओ वृक्ष -मित्र बन जाएँ 🌳 [ बालगीत ]

 374/2022


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✍️

 शब्दकार ©

🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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आओ       वृक्ष -मित्र      बन   जाएँ।

छाया          देकर         ताप मिटाएँ।।


वृक्ष       सदा    हैं      पर -  उपकारी।

हवा        बहाते        शीतल   न्यारी।।

वृक्षों         जैसी        छाया     लाएँ ।

आओ       वृक्ष  -  मित्र    बन जाएँ।।


देते          वृक्ष      प्रसून    सुगंधित।

तुलसी     माता     है     नित वंदित।।

पीपल,      बरगद,       नीम   लगाएँ।

आओ        वृक्ष - मित्र    बन  जाएँ।।


छायादार       मधुर       फल   वाले।

वृक्ष       एक       से     एक निराले।।

लिपटीं       रहतीं        सघन लताएँ।

आओ      वृक्ष  -मित्र       बन जाएँ।।


जहाँ          वृक्ष      बरसेगा    पानी।

बने   मनुज     की     सुखद कहानी।।

सूखा       और        अकाल   भगाएँ।

आओ        वृक्ष - मित्र     बन   जाएँ ।।


अपने       अंग      दान      वे   करते।

लकड़ी,    मूल,    शाख,  फल   भरते।।

'शुभम्'      वृक्ष       से    शिक्षा    पाएँ।

आओ        वृक्ष -मित्र        बन   जाएँ।।


🪴शुभमस्तु !


२०.०९.२०२२◆९.३० आ.मा. 

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