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✍️ शब्दकार ©
🧮 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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गुरु ने हमको ज्ञान कराया।
भीतर का तम दूर भगाया।।
हम सब गुरुओं के आभारी।
उनकी हम पर सदा उधारी।।
सोते थे हम हमें जगाया।।
गुरु ने हमको ज्ञान कराया।।
पहला पाठ पढ़ा जननी से।
धीरज सीखा माँ धरनी से।।
जनक पिता ने भार उठाया।
गुरु ने हमको ज्ञान कराया।।
अक्षर - बोध लिया शाला में।
संतति जैसा ही पाला मैं।।
शब्द -ज्ञान भाषा का आया।
गुरु ने हमको ज्ञान कराया।।
बिना थके चींटी सिखलाती।
मत निराश हों गिर बतलाती।
ऊँचा शिखर शृंग का पाया।
गुरु ने हमको ज्ञान कराया।।
गुरु को आजीवन मत भूलें।
कितनी भी ऊँचाई छूलें।।
यही'शुभम्'गुरु ने सिखलाया।
गुरु ने हमको ज्ञान कराया।।
🪴शुभमस्तु !
०५ सितंबर २०२२◆१२.१५ पतनम मार्तण्डस्य
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