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✍️ शब्दकार ©
🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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माता द्वार हमारे आओ।
घर भर में उजियारे लाओ।
हमें चाहिए विद्या का बल,
कृपा - क्षीर धारे बरसाओ।
अंबर में रहते हैं जितने ,
वे सब शुचि तारे चमकाओ।
जग जननी महिषासुर मर्दिनि,
अरिदल पर आरे चलवाओ।
शैलसुता माँ ब्रह्मचारिणी,
हमें न दैत्य प्यारे आओ।
चंद्रघंटिका माँ घंटा - ध्वनि,
अंबर मध्य उभारे छाओ।
महाशून्य में कुष्मांडा माँ,
छाए हैं अँधियारे ढाओ।
हे माते ! स्कंद चतुर्भुज,
कात्यायनि न्यारे गुण गाओ।
कालरात्रि माँ गौरी शोभन,
सिद्धिदात्रि माँ द्वारे आओ।
'शुभम्' साधना करता माँ की,
माँ के सब जयकारे गाओ।।
🪴 शुभमस्तु !
२६.०९.२०२२◆०१.०० पतनम् मार्तण्डस्य।
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