सोमवार, 19 सितंबर 2022

शूल नहीं बन 🪔 [ गीतिका]

 372/2022


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✍️ शब्दकार ©

🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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मत       समय      नष्ट    कर  सोने   में।

यह     अटल     सत्य     हर   कोने   में।।


बन    शूल      नहीं     चुभना जग     में,

रहना       प्रसून          ही     बोने     में।


सबको     मिलता       फल करनी   का,

परहित   जल    ले,     कर -  दोने    में।


है ,     हुआ       सदा      होगा   अच्छा,

मत    सोच      मनुज     कुछ होने   में।


ईश्वर     की     शक्ति    असीम   अकथ,

विश्वास      न      करना      टोने      में।


दुख      मानव     को   देना   न   कभी,

लग   जा       मणि - माला    पोने    में।


सुख    देने    में      ही    शांति   'शुभम्',

दूषण     को     तज       रह   धोने    में।


🪴शुभमस्तु !


१९. ०९.२०२२◆७.१५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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