सोमवार, 6 नवंबर 2023

लेना शिक्षा भूल से ● [कुंडलिया]

 479/2023

  

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● ©शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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                        -1-

सेवा जननी तात की,और न गुरु  की भूल।

इनकी सेवा  में छिपा, सर्व सफलता मूल।।

सर्व सफलता मूल,यही जीवन -  निर्माता।

होता है उद्धार,इन्हें जो नित प्रति   ध्याता।।

'शुभम्' यही हैं ईश,सुलभ हो जन को मेवा।

करे   न कोई भूल,  पिता,माता, गुरु - सेवा ।।


                        -2-

रहते   बैठे   आलसी, रखे हाथ  पर   हाथ।

बैठे  तन   को  सेंकते,झुका न सकते  माथ।।

झुका न  सकते  माथ, पूर्ण कर्तव्य न करते।

अजगर   से ले सीख,पड़े उदरों को  भरते ।।

'शुभम्' करें  वे  भूल,कष्ट आजीवन   सहते।

सभी  आलसी  लोग ,जगत में यों  ही   रहते।।


                        -3-

करते श्रम से कर्म जो,होती भी   हैं   भूल।

स्वयं  सुधारें  शीघ्र ही,उनको मित्र   समूल।।

उनको मित्र समूल,कर्म से विरत न   होना।

सदा  खेत में  बीज,सुघर जिंसों  के  बोना।।

'शुभम्' भूल से सीख,राह में जो जन चलते।

सदा  सफलता -मंत्र,वही जन  जाना  करते।।


                        -4-

लेना  शिक्षा  भूल से, शिक्षक भी  है  भूल।

सावधान करती  सदा,पथ में कहाँ  बबूल।।

पथ  में कहाँ बबूल,शूल से बचकर चलना।

संघर्षों   के बीच,पड़ें फिर हाथ  न  मलना।।

'शुभम्' खोलकर आँख, निरंतर  नैया  खेना।

भ्रमरों   से उद्धार,पार सरिता कर    लेना।।


                        -5-

मानव - जीवन में नए, आते बड़े    पड़ाव।

हो जाती हैं भूल भी,डगमग हिलती   नाव।।

डगमग  हिलती नाव,धैर्य से आगे   बढ़ना।

मानें  गुरु सम भूल,पाठ शिक्षा का  पढ़ना।

'शुभम्' न त्यागें धर्म,नहीं बनना  है  दानव।

कर्मठ बनिए नित्य,सफल हो जीवन-मानव।।


●शुभमस्तु !


03.11.2023◆7.45आ०मा० 

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