सोमवार, 20 नवंबर 2023

गाए जनगण ● [ गीतिका ]

 495/2023

       

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● ©शब्दकार 

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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कभी  न  करना  हृदय  मलीन।

नहीं     बनेगा   जीवन    दीन।।


जीवन  में  वे     दुःखी     सदा,

भरते   उदर  किसी   से  छीन।


निज  कर्मों  पर  कर   विश्वास,

ईश - भक्ति    में  रहना  लीन।


दुर्बल  को    खाता    बलवान,

ज्यों  छोटी  को  तगड़ी   मीन।


निष्ठावान    कर्म    में     नित्य,

सदा  बजाते  सुख   की  बीन।


भारत   माँ  की   अपनी  शान,

हमें  न बनना    पाकी    चीन।


'शुभम्'   मातरम   वंदे     गीत,

गाए  जनगण   रँग    में   तीन।


●शुभमस्तु !


20.11.2023◆7.30आ०मा०

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