सोमवार, 20 नवंबर 2023

शब्द ● [ चौपाई ]

 496/2023

                     

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● © शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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अक्षर  - अक्षर   ब्रह्म  समाया।

शब्द -शब्द में प्रभु  की माया।।

शब्दसहित  मानव   की भाषा।

संकेतक उर  की  अभिलाषा।।


मानव ,  ढोर ,  पखेरू    सारे।

शब्दसहित  तन भू पर   धारे।।

शब्द  हृदय  के   भाव  बताए।

धी  में  उगे    विचार   जताए।।


शिशु  अबोध  माँ  ने जन्माया।

शब्द प्रकृति से  लेकर  आया।।

रुदन शब्द नव शिशु की भाषा।

बतलाती  मन की अभिलाषा।।


बाग - बाग  कोयलिया  बोले।

मधुर शब्द -रस श्रुति में घोले।।

काँव -काँव के शब्द   न भाते।

रँभा-रँभा पशु कुछ कह जाते।।


शब्द कुकड़ कूँ किसे न भाए।

ताम्रचूड़   नित   हमें  जगाए।।

गौरैया   की    चूँ -चूँ    बोली ।

कानों में रस - गोली   घोली।।


देवालय      में     घंटे     बजते।

फर-फर कर ध्वज ऊपर सजते।।

विद्यालय   में    पढ़ने     जाएँ।

घंटा - शब्द   हमें    मन   भाएँ।।


शब्दों  का  कवि   शब्दकार है।

करता  कविता    तदाधार  है।।

'शुभम्' शब्द की महिमा   गाए।

नहीं  किसे   चौपाई      भाए।।


●शुभमस्तु !


20.11.2023◆8.45 आ०मा०

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