494/2023
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● समांत : ईन ।
●पदांत : अपदांत।
● मात्राभार :15.
●मात्रा पतन : शून्य।
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● ©शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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कभी न करना हृदय मलीन।
नहीं बनेगा जीवन दीन।।
जीवन में वे दुःखी सदा।
भरते उदर किसी से छीन।।
निज कर्मों पर कर विश्वास।
ईश - भक्ति में रहना लीन।।
दुर्बल को खाता बलवान।
ज्यों छोटी को तगड़ी मीन।।
निष्ठावान कर्म में नित्य।
सदा बजाते सुख की बीन।।
भारत माँ की अपनी शान।
हमें न बनना पाकी चीन।।
'शुभम्' मातरम वंदे गीत।
गाए जनगण रँग में तीन।।
●शुभमस्तु !
20.11.2023◆7.30आ०मा०
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