सोमवार, 6 नवंबर 2023

कागज-कलम एक कपि लाया ● [ बालगीत ]

 482/2023


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●© शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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कागज- कलम एक कपि लाया।

फिर कागज   पर  घिसता पाया।।


कभी   उलटता    कभी पलटता।

कभी   डाल   पर   गया उछलता।

मन   ही  मन  में   बड़ा  सिहाया।

कागज- कलम  एक कपि लाया।।


कभी  कलम   को मुख में लेता।

कभी      दिखाता    जैसे नेता।।

कभी   लिए  कर  दिखता धाया।

कागज -कलम एक कपि लाया।।


लगता  ज्यों   कपि पढ़ा-लिखा हो।

ज्ञानी       भारी     बढ़ा - चढ़ा हो।।

कभी    बंदरिया     के   ढिंग आया।

कागज-कलम     एक कपि लाया।।


बंदर   उसको     सभी   निहारें।

ठुड्डी     करतल     रखें   विचारें।।

पास    न   आने    देता   साया।

कागज -कलम एक कपि लाया।।


'शुभम्'   देख कर  ये कपि -लीला।

भौंचक    देखे    वानर  -   टीला।।

खाऊं -   खौं     कर    उसे डराया।

कागज -  कलम  एक कपि लाया।।


●शुभमस्तु !

06.11.2023 ◆11.45आ०मा०

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