482/2023
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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कागज- कलम एक कपि लाया।
फिर कागज पर घिसता पाया।।
कभी उलटता कभी पलटता।
कभी डाल पर गया उछलता।
मन ही मन में बड़ा सिहाया।
कागज- कलम एक कपि लाया।।
कभी कलम को मुख में लेता।
कभी दिखाता जैसे नेता।।
कभी लिए कर दिखता धाया।
कागज -कलम एक कपि लाया।।
लगता ज्यों कपि पढ़ा-लिखा हो।
ज्ञानी भारी बढ़ा - चढ़ा हो।।
कभी बंदरिया के ढिंग आया।
कागज-कलम एक कपि लाया।।
बंदर उसको सभी निहारें।
ठुड्डी करतल रखें विचारें।।
पास न आने देता साया।
कागज -कलम एक कपि लाया।।
'शुभम्' देख कर ये कपि -लीला।
भौंचक देखे वानर - टीला।।
खाऊं - खौं कर उसे डराया।
कागज - कलम एक कपि लाया।।
●शुभमस्तु !
06.11.2023 ◆11.45आ०मा०
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