488/2023
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●©शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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दीवाली है आज, दीप से दीप जलाएँ।
सजा सुखों का साज,द्वार,घर,छतें सजाएँ।।
अंधकार का नाम, हृदय में शेष न रखना।
करना सुंदर काम,जगत में नाम कमाएँ।।
मिटे परस्पर बैर, मिलें अधिकार सभी को।
रहे न कोई गैर, सभी कर्तव्य निभाएँ।।
रहे न टूटी छान,उजाला घर - घर फैले।
मिले सभी को मान,दीन को गले लगाएँ।।
मिटे विषमता मीत, एकता समता आए।
हर्ष भाव के गीत,सभी मिलजुल कर गाएँ।।
स्वच्छ द्वार, दीवार,छतें, घर, बाहर, भीतर।
कर लें आज विचार,हृदय भी स्वच्छ बनाएँ।।
'शुभम्' सपोले मित्र, कभी होंगे न हमारे।
रखना चारु चरित्र, सपोले सभी मिटाएँ।।
●शुभमस्तु !
13.11.2023◆6.45आरोहणम मार्तण्डस्य।
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