बुधवार, 1 नवंबर 2023

करवा चौथ ● [ दोहा ]

 475/2023


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● ©शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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सरगी करवा चौथ की,रस्म शुभद दे सास।

सामग्री  शृंगार  की,सोलह सह    विश्वास।।

सूर्योदय    से  पूर्व ही,सरगी कर   स्वीकार।

शुद्ध मिठाई फूल फल,ले उपवास  प्रभार।।


निर्जल व्रत रखतीं सभी,सधवा   नारी आज।

दिन ये करवा चौथ का,करतीं पति पर नाज़।।

पति   की   लंबी  आयु हो,रहे सदा   नीरोग।

करवा व्रत का लक्ष्य ये,पत्नी का  शुभ  योग।।


माँ  गौरी  शिव- पुत्र का,करतीं   सधवा नारि।

पूजन शुचिकर भाव से,ईश्वर पति -अनुहारि।।

बार -बार छत पर चढ़े, दिखवाए  क्या चाँद।

उदित  हुआ   है  पूर्व में,त्याग चंद्रिका-माँद।।


चंद्रदेव   को   अर्घ्य दे,पढ़ती सधवा   मंत्र।

शिव कुटुंब को पूजती,उर में भाव स्वतंत्र।।

दिन ये करवा चौथ का,कथा पाठ के बाद।

कलश रजत मुद्रा रखें,अर्घ्य मंत्र अनुनाद।।


निशि है  करवा चौथ की,पूज चंद्रमा   आज।

देखें छलनी में उसे,चमका ज्यों   नभ  ताज।।

व्रत-परायण   के लिए,पत्नी को   दे   नीर।

पति अपने  ही  हाथ  से,महके गंध  उशीर।।


पति की लंबी आयु को,करवा व्रत का मान।

रखतीं सधवा नारियाँ,भारत की पहचान।।


●शुभमस्तु !


01.11.2023◆9.00आ०मा०

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