गुरुवार, 2 नवंबर 2023

भूल ● [ सोरठा ]

 476/2023

             

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◆© शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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और न गुरु की भूल,सेवा जननी तात की।

सर्व सफलता मूल,इनकी सेवा  में  छिपा।।


क्षमा माँग लें आप,हो जाए यदि  भूल  तो।

कर लें पश्चाताप,मानव का यह  धर्म   है।।


बैठे हैं यदि आप,रखे हाथ पर हाथ   जो।

रहें  बैठकर ताप,  होगी  एक न भूल जी।।


होती   भी हैं  भूल,कर्म करे तो   व्यक्ति  से।

रहता  मत्त  समूल,बिल में जो अजगर पड़ा।।


यदि मानें ये बात ,  शिक्षक होती भूल भी।

नहीं ,  करें  फिर घात,अज्ञानी नर   मानते।।


चलना   कैसे मीत,भूल सिखाती   राह  पर।

वहीं विजय  का गीत,भूलों से जो  सीख ले।।


पुनः न होती भूल,भूल -भूल कर  राह में।

कहते जिसे  उसूल,भूल नहीं जाना  उसे।।


उसे न कहते भूल,जान-बूझ कर  जो  करे।

होता  सदा अमूल,यह अक्षम्य अपराध  है।।


की भारत की खोज,कोलंबस ने   भूल   से।

फलित न होता रोज,नियम न ऐसा मीत ये।।


हो जाती  है भूल ,कभी - कभी विद्वान  से।

मिलें  निदर्शक मूल, क्षेत्र बड़ा विज्ञान  का।।


संतति  बढ़ती  नित्य,भूल भरा  संसार  ये।

सिद्ध करें औचित्य,चाह नहीं मन में बसी।।


●शुभमस्तु !


02.11.2023◆11.00आ०मा०

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