512/2023
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
● ©शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
फैशन इतना कीजिए, हो जाएँ बरवाद।
ऋण लेकर घृत पीजिए,चार्वाक कर याद।।
मोबाइल मँहगा रखें,हे ठन - ठन गोपाल।
दिखा अमीरी शान से,फैशन रखें बहाल।।
भले ठंड लगती रहे,रखें नग्न ही देह।
फैशन में इठलाइए, भाँग न भूंजी गेह।।
कामिनि तेरी देह में,अग्नि ताप भरमार।
फैशन करें बरात में,कपड़े सभी उतार।।
चोली ऐसी देह पर ,तुम्हें सोहती खूब।
फैशन में बाहें बिना,चरी भैंस ज्यों दूब।।
उघडी नंगी पीठ की, फैशन की भरमार।
जनता को शोभन लगे, रोके क्यों भरतार।।
नारी फैशन में चले, सौ पग आगे देख।
चाँद नहीं तेरी बचे, करना मीन न मेख।।
फटी जींस में हिप्स का,फैशन का ये हाल।
सुनें न अम्मा बाप की,चलें हंस की चाल।।
विदा साड़ियाँ हो रहीं,करे पिलाजो जोर।
फैशन अब रंगीन है, लेती देह हिलोर।।
फैशन की महिमा बड़ी, सुने न देकर कान।
भटकी है पीढ़ी नई,अजब दिखाए शान।।
भले न रोटी पेट में, मोबाइल हो हाथ।
फैशनरत छोरे सभी,छोरी उनके साथ।।
●शुभमस्तु!
29.11.2023●10.00आ०मा०
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें