500/2023
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
●© शब्दकार
● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
पावन तिथि एकादशी,आतीं दो प्रति मास।
व्रत साधें पूजा करें,नियम सहित उपवास।।
शुक्ल पक्ष एकादशी,कार्तिक पावन मास।
प्रबोधिनी कहते सभी,करते व्रत उपवास।।
देव शयन एकादशी,शुभ अषाढ़- चौमास।
हरि जाते हैं शयन को,सागर के आवास।।
तुलसी सँग हरि-ब्याह से,ब्याह हुए आरम्भ।
एकादशी सुपावनी, रखें न मन में दम्भ।।
तिथि हो जब एकादशी,खाएँ नहीं मसूर।
चना, उड़द, गाजर सभी,चावल से रह दूर।।
गोभी ,गाजर से बचें,शलजम,पालक साग।
तिथि पावन एकादशी,लगे न व्रत में दाग।।
चोरी, हिंसा, क्रोध से,बचें कपट से मित्र।
स्त्रीसंग न कीजिए, एकादशी पवित्र।।
नहीं सताएँ और को, और न खाएँ पान।
पावन तिथि एकादशी,रमा-विष्णु का मान।।
इष्टदेव हरि जागिए,भर खुशियों से गेह।
पावन तिथि एकादशी,आई मिले सनेह।।
देवशयन एकादशी, अक्षत, पीले फूल।
रोली , तुलसी-मंजरी, धूप-दीप मत भूल।।
कमल -पुष्प से पूजते,जो हरि को इस काल।
देवशयन एकादशी, बनती पुण्य - प्रवाल।।
●शुभमस्तु !
22.11.2023◆ 12.30पतनम मार्तण्डस्य।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें