बुधवार, 22 नवंबर 2023

एकादशी ● [ दोहा ]

 500/2023

                 

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●© शब्दकार

● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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पावन तिथि एकादशी,आतीं दो प्रति मास।

व्रत साधें पूजा करें,नियम सहित उपवास।।

शुक्ल पक्ष एकादशी,कार्तिक पावन मास।

प्रबोधिनी कहते सभी,करते  व्रत उपवास।।


देव शयन एकादशी,शुभ अषाढ़- चौमास।

हरि जाते हैं शयन को,सागर के आवास।।

तुलसी सँग हरि-ब्याह से,ब्याह हुए आरम्भ।

एकादशी   सुपावनी, रखें  न  मन में  दम्भ।।


तिथि  हो  जब एकादशी,खाएँ नहीं  मसूर।

चना, उड़द, गाजर सभी,चावल से रह  दूर।।

गोभी ,गाजर से बचें,शलजम,पालक साग।

तिथि पावन एकादशी,लगे न व्रत में   दाग।।


चोरी,  हिंसा,  क्रोध   से,बचें कपट से   मित्र।

स्त्रीसंग     न    कीजिए,  एकादशी   पवित्र।।

नहीं  सताएँ    और  को, और न खाएँ     पान।

पावन तिथि एकादशी,रमा-विष्णु का    मान।।


इष्टदेव    हरि  जागिए,भर खुशियों से    गेह।

पावन   तिथि  एकादशी,आई मिले   सनेह।।

देवशयन    एकादशी,   अक्षत,  पीले   फूल।

रोली ,   तुलसी-मंजरी, धूप-दीप मत   भूल।।


कमल -पुष्प से पूजते,जो हरि को इस   काल।

देवशयन    एकादशी,  बनती पुण्य -  प्रवाल।।


●शुभमस्तु !


22.11.2023◆ 12.30पतनम मार्तण्डस्य।

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