बुधवार, 29 नवंबर 2023

शरद - चंद्रिका मोहिनी ● [ दोहा ]

 511/2023

  

[रंग बिरंगी,रमणीय,व्यंजना,प्रस्ताव, संकेत ]

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●© शब्दकार 

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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              ● सब में एक ●

रंग बिरंगी   शाटिका,  धरे  गात  पर   रात।

देती  शुभ  दीपावली,  ज्योति  भरी  सौगात।।

रंग बिरंगी  वादियाँ,  सुमन  भरे   सदगन्ध।

तितली अलिदल झूमते,मुक्त मुदित  निर्बंध।।


शरद - चंद्रिका  मोहिनी,छिटकी है  चहुँ ओर।

गाछ - गाछ रमणीय है,मृदुल मनोहर  भोर।।

सरिता तट रमणीय है,सुन कलरव - गुंजार।

तरुवर  बैठे  कीर दल,करते विशद विचार।।


भक्ति-काव्य की व्यंजना,भर निर्वेद सुभाव।

ईश-भजन  में रस भरे,जगत-चक्र अलगाव।।

शक्ति  सुसज्जित व्यंजना,काव्य उच्च उत्कृष्ट।

अभिधा में प्रियता कहाँ,बना 'शुभम्' का इष्ट।।


साहस कर करता  तुम्हें, प्रणय पूर्ण प्रस्ताव।

ठुकराना  मत  शोभने,मम  उर का सद्भाव।।

समुचित हो प्रस्ताव तो,नहीं तनिक आपत्ति।

करती  अंगीकार मैं, प्रणय  पूर्ण तव   उक्ति।।


बातों - बातों  में  दिया, प्रियतम  ने संकेत ।

भाव  जगे  अभिसार के, उर में बहु  समवेत।।

समझ गई संकेत मैं,शब्द निहित प्रिय-भाव।

परिरंभण की कामना,प्रणय-वीचि का चाव।।


        ●  एक में सब  ●

रंग बिरंगी   व्यंजना,भाव  भरी रमणीय।

आलिंगन - संकेत है,प्रिय - प्रस्ताव वरीय।।


●शुभमस्तु !


29.11.2023●5.30आरोहणम्

मार्तण्डस्य।

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