173/2024
[संवत्सर,नवरात्रि,नववर्ष,देवियाँ,आदिशक्ति]
सब में एक
नव संवत्सर की घड़ी, आई है शुभ मीत।
आनंदित हों हर्ष में, गाएँ मंगल गीत।।
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा,नव संवत्सर आज।
सृष्टि-सृजन का आदि है,वासंतिक सुख साज।।
वासंतिक नवरात्रि है, दुर्गा के नव रूप।
सत्य सनातन धर्म में, पूजित पावन यूप।।
तन-मन निज पावन करें,हैं नवरात्रि महान।
नारी को सम्मान दें,माँ भगिनी का मान।।
शुभ हिन्दू नववर्ष का, वैज्ञानिक आधार।
करण योग नक्षत्र तिथि,और पाँचवाँ वार।।
वासंतिक नववर्ष में, मंगलमय हो देश।
सकल देव रक्षा करें, ब्रह्मा विष्णु महेश।।
घर - घर में हैं देवियाँ,सकल सृष्टि - आधार।
सदा उन्हें सम्मान दें, मन में कर सुविचार।।
वंदनीय नारी सदा, करता नर अपमान।
माने उनको देवियाँ, करता नित गुणगान।।
आदिशक्ति दुर्गा करे, भजन तुम्हारा भक्त।
कृपा 'शुभम्'पर कीजिए,काव्य-कलाअनुरक्त।।
आदिशक्ति आशीष की,वांछा उर में धार।
'शुभम्' चला दरबार में,माँ तुम महा उदार।।
एक में सब
संवत्सर नववर्ष की, हैं नवरात्रि पवित्र।
आदिशक्ति नव देवियाँ,पावन शुभद चरित्र।।
शुभमस्तु!
10.04.2024●7.00आ०मा०
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