शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

एक आदमी [बाल गीतिका]

 164/2024

          


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

 

 हमने  पाला   एक   आदमी।

बड़ा   निराला  एक  आदमी।।


कहता   पूरब   जाता   पश्चिम  ,

भीतर    काला   एक आदमी।


बतलाता  ये   आँखें     दर्पण  ,

चोटी   वाला   एक    आदमी।


कहता  मैं   गंगा  - सा  पावन,

लगता  नाला   एक   आदमी।


बात - बात  में  कसमें  खाता,

माला  वाला    एक   आदमी।


चलता-फिरता एक   लतीफा,

धुत  नित हाला एक आदमी।


'शुभम्' पहेली चलती -फिरती,

अटक निवाला  एक  आदमी।


शुभमस्तु !


05.04.2024●9.00आ०मा०

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