195/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
मेरे घर की
सघन बेल में
धूम मचाती है गौरैया।
नर के पंख
श्याम बादामी
मादा के कुछ कम मटमैले।
कभी फुदकती
वह मुँडेर पर
तिनके छोटे मुख में ले-ले।।
अंडे रखे
सहेजें दोनों
खूब नाचती है गौरैया।
बीते कुछ दिन
चूँ -चूँ करते
लाल - लाल नन्हे दो बच्चे।
दाना-पानी
लाती दोनों
लगते हैं वे कितने सच्चे।।
घर की शोभा
रौनक अद्भुत
नीड़ सजाती है गौरैया।
कीटनाशकों
ने छीनी हैं
गौरैया की जीवन लीला।
नहीं घरों में
दरबे मोखे
घर पाखी का नीड़ हठीला।।
'शुभम्' मनुज की
घर - गृहस्थी में
खुशियाँ लाती है गौरैया।
शुभमस्तु !
30.04.2024●7.15आ०मा०
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