162/2024
[फसल,किसान,चैत,खलिहान,मिट्टी]
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
सब में एक
कृषक उगाता अन्न फल,शाक ईख बहु दाल।
जीवनदाता फसल से ,कृषि का करे कमाल।।
जीवनदात्री देश को, फसल सभी अनमोल।
कृषक नित्य पोषण करे,जय जलधर की बोल।।
स्वेद बहाता रात-दिन,कृषि हित एक किसान।
मिले न उसको देश में,समुचित नित सम्मान।।
सदा अभावों में रहा, जीता एक किसान।
श्रम के बदले कब मिला,उसको जग में मान।।
चैत मास में अन्न की,छाई हुई बहार।
प्रमुदित सभी किसान हैं, हर्षमग्न परिवार।
चैत मधुर मधुमास है,सुमन खिले चहुँ ओर।
पिक भौंरे तितली सभी, नाच रहे वन मोर।।
चना मटर गोधूम की, पकी फसल को देख।
कृषक मुदित खलिहान में,उदित भाग्यलिपि लेख।
कृषि-श्रम का परिणाम है,फसल भरा खलिहान।
जुटे कृषक निज कर्म में, प्रभु का शुभ वरदान।।
मिट्टी से सोना उगे, अन्न दुग्ध फल शाक।
श्रमकर्ता फल पा रहे, अन्य रहे हैं ताक।।
मिट्टी में हर रंग है ,श्वेत हरा या लाल।
सभी सुगंधें मोहतीं, करती मृदा कमाल।।
एक मे सब
चैत मास अति मोद में,फसल रखी खलिहान।
मिट्टी ने सोना दिया, हर्षित सभी किसान ।।
शुभमस्तु !
03.04.2024●7.15आ०मा०
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