बुधवार, 12 दिसंबर 2018

कामचोर [ लघुकथा ]

   मैं  एक बड़े नगर की एक बड़ी राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा में लोक भविष्य निधि के खाते में कुछ धनराशि जमा करने के लिए गया। किश्त जमा करने के बाद निर्धारित काउंटर पर मैंने संबंधित लिपिक से पासबुक में प्रविष्टि के लिए निवेदन किया तो वह कहने लगा - 'आप लोग शिकायत तो करते नहीं हैं। यहाँ प्रिंट निकालने के लिए कोई आदमी नहीं है।इसलिए प्रिंट नहीं निकल सकता।' इस पर मैंने उनसे कहा-'शिकायत तो मैं नहीं करूँगा। पचास किलोमीटर से इसी काम के लिए आया हूँ। यदि पास बुक में प्रविष्टि नहीं हो सकती तो आप स्टेटमेंट ही दे दीजिए। इस काम के लिए इतनी दूर से बार -बार तो आया नहीं जा सकता। ये तीसरा वर्ष है जब मुझे बिना पासबुक में एंट्री के लौटना पड़ेगा।'
   फिर भी उस 25 -26 साल के युवा लिपिक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। और बोला कि सर्वर डाउन है। स्टेटमेंट भी नहीं निकल पायेगा। मैं अपना -सा मुँह लेकर वापस लौटने का विचार कर ही रहा था कि मैंने सोचा कि
प्रबंधक महोदय से बात करके देखता हूँ कि क्या कहते हैं।
   मैं प्रबंधक जी के चैम्बर की ओर बढ़ा। अंदर आने की अनुमति ली।अंदर गया औऱ पहले अपना परिचय दिया, हाथ मिलाया फिर असली मुद्दे पर आया - 'सर मैं .......से आया हूँ। आपके बैंक मैं मेरे ....का एक पी पी एफ एकाउंट है। दो वर्ष से उसमें बैंक ने कोई प्रविष्टि नहीं हुई है। यदि हो सके तो स्टेटमेंट ही निकलवा दीजिए सर। मुझे आयकर रिटर्न के लिए एंट्री चाहिए थी।वह बोले-'वर्ष में एक - दो ही एंट्री होती होंगी।' मैंने कहा - 'जी हाँ।एक दो बार ही कर पाता हूँ।'
   प्रबंधक जी  ने तुरंत इंटरकॉम उठाया और सम्बंधित लिपिक से कहा, आप आ रहे हैं। इन्हें स्टेटमेंट दे दें।' मैं चैम्बर से निकला तो कुछ ही पल में उन्हीं लिपिक महोदय के पास था, जिसने अभी पाँच मिनट पहले ही सर्वर डाउन की बात कहकर मुझे इन्कार कर दिया था। मैंने जाते ही कहा - इसका स्टेटमेंट दे दीजिए औऱ पासबुक उनके हाथ में दे दी। और पंद्रह मिनट के बाद स्टेटमेंट मेरे हाथ में था। मेरे बिना कहे ही सर्वर सही काम करने लगा था और लिपिक जी का चेहरा देखने योग्य था।

💐शुभमस्तु💐
✍🏼©लेखक
 डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"

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