जब तक उर में भाव न आए,
कैसे गीत लेखनी गाये!
पनघट खाली पनिहारिन से,
रिक्त कलाई मनिहारिन से,
पिया न घण्टी रहे बजाए,
तरसे बिस्तर सजे -सजाए।
जब तक...
साँझ ढली तम का पहरा है,
रह-रह घाव हुआ गहरा है,
किससे मन की व्यथा सुनाए
मेरे मन को समझ न पाए।
जब तक ...
विरहानल कीआग विकट है,
प्रीतम प्यारा नहीं निकट है,
झोंके से परदा हिल जाए,
भोला-भाला मन डर जाए।
जब तक ...
कोई साझी नहीं पीर का,
नयनों के इस गुप्त नीर का,
उसके सीने से लग जाए,
उर- कम्पन साधे बहलाए।
जब तक...
शी-शी शीत सतावे तन में,
लगीआग दिखती न सु-मन में,
नागिन -सी रतियाँ लहराएँ,
'शुभम'मिलन की कब ऋतु आए।
जब तक ...
💐शुभमस्तु !
✍🏼©रचयिता
डॉ.भगवत स्वरूप"शुभम"
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