गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

कैसे गीत लेखनी गाए! [ गीत ]

जब तक उर में भाव न आए,
कैसे    गीत   लेखनी   गाये!

पनघट खाली पनिहारिन से,
रिक्त कलाई   मनिहारिन से,
पिया  न  घण्टी  रहे   बजाए,
तरसे  बिस्तर  सजे -सजाए।
 जब तक...

साँझ  ढली  तम का पहरा है,
रह-रह  घाव  हुआ  गहरा है,
किससे मन की व्यथा सुनाए
 मेरे मन  को  समझ  न पाए।
 जब तक ...

विरहानल कीआग विकट है,
प्रीतम प्यारा   नहीं निकट है,
झोंके  से  परदा  हिल  जाए,
भोला-भाला मन डर जाए।
जब तक ...

कोई  साझी  नहीं  पीर का,
नयनों के इस गुप्त नीर का,
उसके  सीने   से लग जाए,
उर- कम्पन साधे  बहलाए।
जब तक...

शी-शी  शीत सतावे तन में,
लगीआग दिखती न सु-मन में,
नागिन -सी  रतियाँ लहराएँ,
'शुभम'मिलन की कब ऋतु आए।
जब तक ...

💐शुभमस्तु !
✍🏼©रचयिता
 डॉ.भगवत स्वरूप"शुभम"

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