चमक रहे अम्बर में तारे।
आँखों को लगते वे प्यारे।।
दिन में भी वे नित रहते हैं,
बिन वाणी वे कुछ कहते हैं,
तुम तो देख नहीं पाते हो,
चमक रहे अम्बर में तारे।
वे अपनी क्षमता में रहते,
नहीं किसी समता में बहते,
टिम-टिम करते निज सीमा में,
चमक रहे अम्बर में तारे।
वे अपना ही करते काम,
विघ्न न बनते कभी विराम,
प्रेरणा देते सदा कर्म की,
चमक रहे अम्बर में तारे।
सूरज शशि से होड़ नहीं है,
उनसे उनका जोड़ नहीं है,
ईर्ष्या द्वेष नहीं करते वे ,
चमक रहे अम्बर में तारे।
सूरज का करते सम्मान ,
नहीं दिखाते उनको शान,
'शुभम' साथ चन्दा को लाते,
चमक रहे अम्बर में तारे।
💐शुभमस्तु !
✍🏼रचयिता ©
🌳 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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