अम्मा जाड़ा मुझे सताता,
जल्दी -जल्दी क्यों नहीं जाता।
रोज़ मुझे नहलाती हो,
टॉफी दे बहलाती हो,
बंटू रामू नहीं नहाते,
नहीं रोज़ विद्यालय जाते,
जाड़ा क्यों उनको न सताता!
अम्मा जाड़ा....
इतने सारे जरसी कपड़े,
पढ़ने -लिखने के भी लफड़े,
खेलकूद में बाधक होते,
पीठ लादकर बस्ता ढोते,
साल साल क्यों जाड़ा आता!
अम्मा जाड़ा.....
ठंडे जल से कपड़े धोतीं,
जल्दी जाग देर में सोतीं,
अच्छा मुझे नहीं लगता है,
जाड़ा बहुत बुरा चुभता है,
तनिक न जाड़ा मुझे लुभाता।
अम्मा जाड़ा........
थोड़ा और मुझे सोने दो,
ठंड और कम तो होने दो,
आज तो क्रिसमस डे की छुट्टी
विद्यालय जाने की कुट्टी।
घर में होगा धूम धड़ाका
अम्मा जाड़ा ...
💐शुभमस्तु !
✍🏼रचयिता !
🌱डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
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