ज्ञान मिला -
"धनात्मक सोचो",
धनात्मक ही सोचा
सोच भी रहे हैं,
धनात्मक सोच के परिणाम
ही तो मिल रहे हैं।
क्या आम क्या खास
क्या बहू क्या सास
क्या नौकरीपेशा क्या व्यापारी
प्राइवेट या सरकारी ,
नेता, पुलिस , मंत्री,
चौकीदार, किसान , संत्री,
दूधवाला, तेलवाला, मिठाई घर,
सबकी सोच है धनात्मक इधर।
धनात्मक सोच का परिणाम
रिश्वत, चोरी , बेईमानी,
धनिये में लीद,
भर भर बोरी,
यूरिया से दूध
रसायन रंग भरी मिठाई
मिलावटी घी तेल
सब धनात्मक है भाई!
जब तक नहीं ऊपरी कमाई
पुलिस न नेताजी पर
ताज़गी लुनाई।
बीजों के ऊपर औऱ नीचे
जहर ही बोयें नित्य सीचें,
फल औऱ हरी सब्जियाँ
जहर के छिड़काव भरी क्यारियाँ
शुद्धता हो गई काफूर
ईमानदारी भी हुई कपूर,
मानवता से मानव बहुत दूर,
दानवता का संक्रमण भरपूर।
भविष्य क्या सुनहरा होगा?
इंसान पर इंसान का पहरा होगा
आदमी अपने ही हाथों छूट गया
फिर क्यों कहते हो
विधाता रूठ गया।
सपना टूट गया।।
💐 शुभमस्तु !
✍🏼©रचयिता
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
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