आओ खेलें नेता - नेता
आम चूस छिलका जो देता
तुम जनता मैं नेता बनता
गुब्बारे - सा मैं नित तनता
वोट तुम्हारे मुझे चाहिए
माला माल भी मुझे चाहिए
नहीं किसी को नेता देता
आओ खेलें नेता - नेता।
आश्वासन हैं पास हमारे
मीठे - मीठे भाषण प्यारे
घड़ियाली आँसू का सागर
अभिनय करने में नटनागर
पैरों में टोपी रख देता
आओ खेलें नेता- नेता।
आई ए एस भी सर कहता है
कुर्सी छोड़ खड़ा रहता है
पलक पाँवड़े सभी बिछाते
हार गले को नित सहलाते
नाव देश की नेता खेता
आओ खेलें नेता - नेता ।
लिखा-पढ़ी का मोल नहीं है
बिना पढ़े जब तोल सही है
डिग्रीधारी नौकर होते
हम डिग्री के ऊपर सोते
पढ़े-लिखों पर भारी नेता
आओ खेलें नेता - नेता।
नोटों की बरसात यहाँ है
ऐसा रुतवा और कहाँ है!
अपने आप लक्ष्मी आती
चरणों में गिरती मदमाती
काजू - पिस्ते खाता नेता
आओ खेलें नेता - नेता।
झूठ यहाँ पर पाप नहीं है
सच भी अपना बाप नहीं है
पूरब कह पश्चिम को जाना
नेता का सिद्धान्त पुराना
अंडे जैसे जनता सेता
आओ खेलें नेता - नेता।
नेता को कोई नियम नहीं है
क़ानूनों का जनक वही है
जनता के हित नियम बनाता
स्वयं न चलता उसे चलाता
करता जो विश्वास , न चेता
आओ खेलें नेता - नेता।
कान का कच्चा होता नेता
गुरगों का विश्वास जो लेता
चमचा-चमची से घिरा हुआ
तेरा न हुआ मेरा न हुआ
आगे जो बढ़ा उसको रेता
आओ खेलें नेता - नेता।
मरने तक नेता ही रहना
कभी न सेवा -निवृत्त कहना
जब तक तन में चलती साँसा
पूर्ण भरोसा जीवित आशा
हार न माने सदा विजेता
आओ खेलें नेता - नेता।
चरित कौनसी चिड़िया होती
बीट-बीज जन- जन में बोती
दल बदलो जब मन में आए
जिसने बदला कब शरमाये!
कुर्सी की कृषि करता नेता
आओ खेलें नेता - नेता।
श्वेत वसन रंगी है दुनिया
देशभक्ति की गूँजे ध्वनियाँ
लगा मुखौटे ओढ़ें खाल
दस- दस पीढ़ी हुईं निहाल
"शुभम" शिवम सत्यं ही सेता
आओ खेलें नेता - नेता।।
💐शुभमस्तु !
✍🏼©रचनाकार
डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"
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