गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

नहीं सुनाओ बात पुरानी [ बाल कविता ]

नहीं  सुनाओ  बात   पुरानी।
'एक था राजा एक थी रानी।।
नहीं  रहे    अब  राजा-रानी।
नहीं  सुहाती  वही कहानी।।
नहीं सुनाओ....

नवयुग की अब  हवा नई है।
परिभाषाएं   बदल   गई हैं।।
कम्प्यूटर  की  भाषा  जानी।
दुनिया  मोबाइल - दीवानी।।
नहीं सुनाओ ....

प्रजातंत्र   का  युग आया  है।
स्वतंत्रता - ध्वज फहराया है।।
राजतंत्र  की   नहीं   निशानी।
केसरिया  सित चूनर   धानी।।
नहीं सुनाओ ....

बैलट का अब गया  जमाना।
ई वी एम   ने   सीना   ताना।।
गणना  में    नहीं    बेईमानी।
बेईमान      भरेंगे      पानी ।।
नहीं सुनाओ ....

मत  देना   अधिकार  हमारा।
धोखा छल का हुआ किनारा।।
कर्महीन   की   सत्ता   जानी।
मतदाता  ने  मिलकर ठानी।।
नहीं सुनाओ....

💐शुभमस्तु !
✍🏼रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"

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