लिए तिरंगा हाथ में,
बढ़े राह रणधीर।
अलख जगाने देश में,
गही हाथ शमशीर।।
गही हाथ शमशीर,
देश आज़ाद कराया।
जंजीरों को तोड़,
वीर सुरलोक सिधाया ।।
'शुभम' संगठित रहे,
बही तब पावन गंगा।
बढ़े रात दिन वीर,
हाथ में लिए तिरंगा।।1।
तीन रंग में फहरता,
परस गगन के छोर।
अमर तिरंगा राष्ट्रध्वज ,
उदय किरण शुभ भोर।।
उदय किरण शुभ भोर,
रंग ऊपर केसरिया ।
शौर्य शक्ति सम्पन्न,
शांति का धवल सु-दरिया।।
रँग हरा संपन्नता ,
शांति ताकत के सँग में।
'शुभम' चक्र सित बीच,
फहरता तीन रङ्ग में।।2।
आन मान औ' शान की,
रक्षा हित बलिदान।
नहीं तिरंगा झुक सका,
छोड़े अमर निशान।।
छोड़े अमर निशान,
मोह ममता सब त्यागी।
मात - पिता वे धन्य,
पुत्र जिनके बड़ भागी।।
गति वीरों की प्राप्त,
भारत वीरों की खान।
स्वतंत्रता के हेत,
बची जननी की आन।।3।
एक तिरंगा एक हम,
एक राष्ट्र की शान।
विविध रूप रँग धर्म भी,
एक सभी का मान।।
एक सभी का मान,
न झण्डा झुकने देंगे।
बलिदानी पहचान,
न अपनी मिटने देंगे ।।
पावन करती धरा,
नर्मदा यमुना गंगा।
'शुभम' देश का अटल,
रहेगा एक तिरंगा।।4।
एक तिरंगा देश का,
बढ़ो सुपथ धर धीर।
सदा सत्य वर्षा करे,
हरसाते हैं वीर।।
हरसाते हैं वीर,
देश पर बलि -बलि जाते।
करते रक्षा धर्म,
एक सँग मिलकर गाते।।
प्रेम-सुधा शुभ वृष्टि करे,
नित यमुना गंगा।
ऊँचा जग में रहे ,
हमारा अमर तिरंगा।।5।
💐 शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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