काले - काले सोहते ,
सिर पर सुंदर केश।
नर - नारी को दे रहे ,
सरस सुप्त संदेश।।
सरस सुप्त संदेश,
लगन से बाल सँवारें।
कंघी से लें काढ़ ,
सभी मुख - रूप सुधारें।।
'शुभम ' और ही ओप ,
अगर हों खुशबू वाले।
डालें सिर में तेल,
बाल हैं काले -काले।।1।।
नीचे से ऊपर उगे ,
सजे श्याम रंग बाल।
गंजा जिसका शीश है ,
पूँछें उससे हाल।।
पूँछें उससे हाल,
कहाँ तक मुख को धोए !
फेरे सिर पर हाथ ,
रोज़ किस्मत को रोए।।
'शुभम' न कंघी तेल,
कहाँ सिर - खेती सींचे।
देख लहरते बाल,
नारि के देखे नीचे।।2।।
लंबे काले केश हैं,
जिस नारी के शीश।
लहराते बल खा रहे,
रक्षक हों जगदीश।।
रक्षक हों जगदीश,
मधुर हो उसकी वाणी।
गृह शोभा वह नारि,
बने शुभदा कल्याणी।।
'शुभम ' कचों का काम,
आगरा हो या बम्बे।
सुंदरता की खान,
चिकुर हों काले लंबे।।3।।
छोड़ हथेली हाथ की,
पगतल दोनों पाँव।
रोम नहीं , चिकने बने ,
नगर रहो या गाँव।।
नगर रहो या गाँव,
प्रकृति की महिमा न्यारी।
नख से ऊपर बाल ,
लहरते तन की क्यारी।।
'शुभम ' अधिक या न्यून,
मनुज की देह - हवेली।
लंबे - छोटे श्याम,
बाल छवि छोड़ हथेली।।4।।
अलकें शोभित भाल पर,
पलकें भौंहें बाल।
दाढ़ी मूँछें कह रहीं,
अपना - अपना हाल।।
अपना - अपना हाल ,
नारियों का क्या कहना !
दाढ़ी - मूँछें हीन,
बनाया हमको बहना।।
'शुभम ' भेद की भीत,
विधाता की यों झलकें।
लंबी खुशबूदार,
भाल पर लटकी अलकें।।5II
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
28.01.2020 ◆9.45अप.
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