बुधवार, 22 जनवरी 2020

धरती हरी, गगन केसरिया 🔹 [ गीत ] 🔹



धरती   हरी, गगन  केसरिया,
मध्य   श्वेत     जन - जन   है।
अविरत  समय-चक्र चलता है,
मेरा      सबल     वतन    है।।

पावन   गंगा , यमुना के  सँग,
सरस्वती        का        संगम।
धानी   धान    लहरते    गेहूँ,
प्रमुदित     है   जड़  -  जंगम।।
चना ,    मटर , जौ के खेतों ने,
उगला        नित    कंचन    है।
धरती    हरी,  गगन  केसरिया,
मध्य     श्वेत   जन  - जन  है।।

उत्तर में  प्रहरी   हिमगिरि  है,
दक्षिण   हिन्द      महासागर।
पूर्व  दिशा   खाड़ी   लहराती,
पश्चिम  अतुल  अरब सागर।।
माँ   के   चरणों को पखार कर,
लगा      रहा         चंदन     है।
धरती    हरी , गगन केसरिया,
मध्य   श्वेत     जन -  जन  है।।

हिंदी , बंगला ,  गुजराती  बहु,
भाषा   -   भाषी      देश   है।
उड़िया,कन्नड़,मलयालम जो,
बोलें    सुखद    सँदेश     है।।
पंजाबी ,    उर्दू ,     कश्मीरी ,
सबका        एक    गगन     है।
धरती  हरी ,   गगन केसरिया 
मध्य   श्वेत, जन   -  जन है।।

प्रजातंत्र        का     एक  तिरंगा ,
संसद            पर       फहराता।
जनगणमन अधिनायक जय का,
गीत       एक         ही     गाता।।
संविधान      है    एक  सभी का,
करता        वतन    नमन    है।
धरती   हरी  , गगन  केसरिया,
मध्य     श्वेत    जन  -  जन है।।

मिलजुल  कर   सब रहें देश में,
एकसूत्र          मणि   -  माला।
इक   अखंड   भारत   हो  मेरा,
हटें      पटल     के      जाला।।
तब  होंगे   मजबूत  सभी हम,
भारत      एक    चमन     है।
धरती   हरी , गगन केसरिया,
मध्य    श्वेत   जन  -  जन है।।

बेला ,औ'   गेंदा ,  गुलाब की,
महक      रही     हैं     क्यारी।
हिन्दू, मुस्लिम,सिक्ख,इसाई,
सबकी       पूजा       न्यारी।।
फिर   भी इस भारतमाता का,
सबको        आलिंगन      है।
धरती   हरी, गगन  केसरिया,
मध्य    श्वेत   जन - जन  है।।

रक्तवाद     तज  भक्तवाद में,
सबकी          सदा      सुरक्षा।
एक -  एक      एकादश  होते ,
'शुभम'      सँदेशा     अच्छा।।
स्वस्थ,सबल,सानन्द सभी हों,
शत -    शत    अभिनंदन   है।
धरती हरी,  गगन   केसरिया ,
मध्य   श्वेत   जन  -  जन  है।।


💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🇮🇳  डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

22.01.2020 ●10.00पूर्वाह्न।

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