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मुझको कहते हैं सब जूता।
मेरे जैसा किसका बूता।।
पैरों में मैं पहना जाता।
सभी कष्ट भी सहना आता।।
मोल न कोई मेरा कूता।
मुझको कहते हैं सब जूता।।
पहनें मानव नर या नारी।
संत खड़ाऊँ पहनें न्यारी।।
जज ,वकील या इब्नबतूता।
मुझको कहते हैं सब जूता।।
कोई चर्र - मर्र भी करता।
नहीं शूल कंकड़ से डरता।।
कभी न आँसू मुझसे चूता।।
मुझको कहते हैं सब जूता।।
हर पल मैं रहता तैयार।
पैर तुम्हारे मेरे यार।।
जिनको नित्य निरन्तर छूता।
मुझको कहते हैं सब जूता।।
मैं दुश्मन का मान घटाता।
उसके सिर पर जब पड़ जाता।।
पाँव काट लूँ आँसू चूता।
मुझको कहते हैं सब जूता।।
कहो उपानह या पदत्राण।
कर्म एक मेरा बस त्राण।।
'शुभम ' जागरण कभी न सूता।
मुझको कहते हैं सब जूता।।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🍀 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
15.01.2020 मकर संक्रांति
7.45 अपराह्न।
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