आया है ऋतुराज वसंत,
हुआ शीत का पूरा अंत।
जड़ - चेतन में लाली है,
सब ऋतुओं का प्यारा कन्त।।
फूल उठी क्यारी - क्यारी,
प्रकृति की शोभा न्यारी।
तू क्यों है उदास प्रियतम,
कहती प्यारे से प्यारी।।।
खेतों में सरसों फूली ,
विरहिणी अपना पथ भूली।
प्रिय - आगमन प्रतीक्षा है,
नर्म सेज लगती शूली।।
फूले हैं गेंदा गुलाब,
सरिता का सरगमवत बहाव।
नीला अम्बर छा गया धरा,
देखती कामिनी मधुर ख़्वाब।
जब उतरा प्राणों में वसंत,
उभरा यादों में प्रणय कन्त।
बौराये पीपल, नीम , आम,
आया वसंत , छाया वसंत।।
💐 शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
🌻🌻 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम!
30.1.2020 ★वसंत पंचमी◆ 10.45 पूर्वाह्न।
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