माँ सरस्वती का अभिनन्दन,
करता प्रणाम देकर चंदन।
माँ 'शुभम' करो रचना मेरी,
शत सहस बार है मातु नमन।
माँ की वीणा नित बजती है,
गुंजित सरगम नित सजती है।
साधना निरत कविगण सारे,
परिश्रम से कविता सजती है।
तुम कुंद पुष्पवत हो माते!
नित 'शुभम' तुम्हें मन से ध्याते
उज्ज्वल कर दो माँ भाव उरज
तुमसे हम ज्ञान, भाव पाते।।
माँ शुभ्र वसन धारण करतीं,
अज्ञान तमस उर का हरतीं।
तुम श्वेत पुष्प पर विराजमान,
कर में वीणा गुंजन करती।
हिमराशि ,चंद्रमा , मुक्तासम,
माँ सरस्वती को सहस नमन।
दो ज्ञान , दूर जड़ता हरके,
वीणा का स्वर करके गुंजन।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
30.1.2020 ◆ वसंत पंचमी ◆11.15 पूर्वाह्न।
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