बुधवार, 8 जनवरी 2020

ग़ज़ल


  

इतना   भी  तरसाते  क्यों हो ?
बहुत  देर  से   आते  क्यों हो??

थक   जाती     हैं    आँखें   मेरी,
नज़रों  को    भरमाते  क्यों  हो?

नाज़ुक    बदन    तुम्हारा इतना,
इतनी   कटि  लचकाते  क्यों हो?

शबनम  भी   शरमा     जाती  है,
कलियों - से    मुस्काते   क्यों हो?

हसीं     तबस्सुम     सलज तुम्हारी,
बन  गुलाब  खिल जाते क्यों हो?

उठता    नहीं   भार    यौवन  का,
इतना   बोझ     उठाते   क्यों हो?

हाव - भाव    की   पायल बजतीं,
'शुभम'   गीत    फिर   गाते  क्यों हो?

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
❤ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

04.01.2020●8.15अपराह्न।

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