बुधवार, 22 जनवरी 2020

नन्हीं चींटी [ बाल गीत ]



नन्हीं   चींटी   बिल  में जाती।
श्रम   की सीख हमें सिखलाती

चढ़ती   गिरती गिरकर चढ़ती।
मौन  मंत्र मन ही  मन पढ़ती।।
हार   न  मानो   हमें   बताती।
नन्हीं   चींटी  बिल में  जाती।।

नहीं शिकायत शिकवे करती।
हाथी   से भी कभी  न डरती।।
घुसी सूँ  ड़  अहसास  कराती।
नन्हीं  चींटी  बिल   में जाती।।

बीन-बीन कण भोजन लाती।
अपना    बिल -भंडार बढ़ाती।।
कुल   की रक्षा  में  जुट जाती।
नन्हीं   चींटी  बिल में जाती।।

मुँह  में   लेकर   अंडे   ढोती।
रात -दिवस चींटी कब सोती?
अपने  सब   कर्तव्य  निभाती।
नन्हीं  चींटी  बिल  में जाती।।

कर्मठता    की  चीटीं  शिक्षक।
नहीं  किसी  के दर की भिक्षुक।
स्वाभिमान    के  गीत  सुनाती।
नन्हीं चींटी   बिल  में  जाती।।

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
👮‍♂ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

22.01.2020 ★4.00अप.

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