सोमवार, 13 जनवरी 2020

प्रेम की पाती [ गीत ]


प्रेम - पंथ की परिभाषा तक 
प्रिये ! प्रतीक्षा तुम कर लेना।
निज अतीत की मधुरिम यादें
अपने   आलिंगन भर  लेना।।

यादों के   बादल  जो   उमड़े
बिना गरज  के बरस रहे  हैं।
प्रिये!तुम्हारे बिना आज हम
तनहाई   में   तरस   रहे हैं।।
धुँधली   धूसर  तस्वीरों  को
अपने  आँचल में धर  लेना।
प्रेम-पंथ की  परिभाषा तक
प्रिये!प्रतीक्षा तुम कर लेना।।

होंठ  रसीले  चंचल  चितवन
भूले   नहीं    भुलाई   जाती।
गजगमिनि-सी  चाल तुम्हारी
मेरे तन - मन को  भरमाती।।
लोल  कपोल  बोल  रसवंती 
नहीं विलोपित तुम कर लेना।
प्रेम - पंथ की परिभाषा तक
प्रिये! प्रतीक्षा तुम कर लेना।।

कितना  भी हो शीत भयंकर
युगल  नगों    पर है  गरमाई।
देख क्षीण कटि के उतार को
मादा   केहरि  भी  शरमाई।।
त्रिबली के   सपाट  संगम में
पर कर-पल्लव नाव न खेना।
प्रेम- पंथ की  परिभाषा तक 
प्रिये ! प्रतीक्षा तुम कर लेना।।

नख से शिख की देह सुघड़ता
का  कोई   उपमान   नहीं  है।
मधुर और  लावण्य  समन्वय
का शुभतम सम्मान यहीं है।।
कोण  उभारों   के  संगम  में
नालों का  जल मत भर देना।
प्रेम - पंथ की परिभाषा तक
प्रिये !प्रतीक्षा तुम कर लेना।।

आँसू  की   स्याही  को लेकर 
प्रिये! तुम्हारा गीत लिख रहा।
आज  तुम्हारा  वह अतीत भी
हृदयनयन से साफ दिख रहा।
तुम भी पल दो पल को अपनी
आँखों   में   स्मृतियाँ    सेना।
प्रेम -  पंथ की परिभाषा तक
प्रिये ! प्रतीक्षा तुम कर लेना।।

प्रेम - पीर  की  पाती  पढ़कर
अपने पथ से भटक न जाना।
पतझड़  से  निराश मत होना
शुष्क शाख मेंअटक न जाना।
'शुभम'  आयगा वसंत  फिर
कुछ दिन इंतज़ार कर लेना।।
प्रेम - पंथ की परिभाषा तक
प्रिये ! प्रतीक्षा तुम कर लेना।।

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
💞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

12.01.2020◆11.30 पूर्वाह्न।

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