बुधवार, 8 जनवरी 2020

ग़ज़ल


  ♾★★♾★★♾★★

इतना       भी  तरसाते  क्यों हो ?
बहुत    देर  से   आते  क्यों हो??

थक     जाती     हैं    आँखें   मेरी,
इस    दिल को  भरमाते  क्यों  हो?

नाज़ुक     बदन   सफर    में  काँटे,
हमें     छोड़कर     जाते  क्यों  हो?

शबनम    भी   शरमा      जाती  है,
फूलों -   सा     मुस्काते    क्यों हो?

हमें    खयालों       में    ला - लाकर,
मन   ही  मन   मुस्काते क्यों हो?

दिल      का   दर्द   बड़ा    भारी  है,
इतना      बोझ      उठाते   क्यों हो?

दर्द    अगर   बढ़ता    हो  दिल  का,
'शुभम'   गीत   फिर  गाते  क्यों हो?

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
❤ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

04.01.2020●8.15अपराह्न।

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