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अदम्य समय का
एक बृहत खण्ड-
कहलाता है साल ,
चुभता रहा
हर साल बेमिसाल,
पल,सेकेंड,मिनट,
घण्टा , घड़ी , मुहूर्त,
सप्ताह , मास
और फिर साल,
आदमी के
विभाजन का कमाल?
विभाजन -प्रेमी
आदमी ने
नहीं छोड़ा
समय को भी
कर दिया है
खण्ड -खण्ड,
अपनी ही
सुख -सुविधा का
सरल मापदंड!
समय है
पर दुर्दम निर्मम
न कोई औदार्य,
अनवरत प्रवाह,
अहर्निश गतिमान,
न कभी विराम
न ही आराम,
समय की है
यह शान।
समय के साथ
चलना,
न रुकना
भटकना ,
न बरबाद करना,
जिसने भी किया
समय को बरबाद,
संदेह है कि
रहेगा आबाद!
प्रतीक्षा नहीं करता
किसी की भी
यह समय,
सभी को
करनी होती है
प्रतीक्षा समय की,
रुकता भी नहीं
समय किसी के वास्ते,
बना ही लेता है
वह अपने रास्ते,
चाहे रावण हो
या राम ,
समय का नहीं
कहीं भी विराम!
सुबह से शाम
आठो याम
समय के नाम।
एकमात्र
चलती है प्रकृति,
समय से
न पल की देर,
न पहले होने का
अंधेर!
निकलते हैं
भगवान भास्कर,
शशि, अगणित तारे,
हवा बहती हैं,
प्रवाहित होतीं नदियाँ,
सागर से मिलने ,
क्या कहने?
पर यह इंसान
फैलाता जगत भर में,
विस्तृत वितान,
पर समयबध्दता की
करता है
नित हानि,
न वाणी न कर्म,
किताबों में
मिलता है धर्म,
धारण करने के
नाम पर बेशर्म!
क्या यही है 'शुभम',
धर्म मज़हब का मर्म?
समय को नष्ट करता
इंसान बेधर्म!
💐 शुभमस्तु !💐
✍रचयिता ©
⏰ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
02.01.2020◆7.45अपराह्न।
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