सोमवार, 13 जनवरी 2020

सुमनवत मानव जीवन [ अतुकान्तिका ]


♾●♾●●♾●●●♾●●●●
सुंदर मन -सा
सु-मन- सा,
विकसित सुमन,
रूप, रंग ,सुगंध,
मादक मकरंद,
जीवंत प्रमन
समर्पित जीवन
परहित नमन
विचित्र आकर्षण!

पराग के कण 
विकिरण क्षण - क्षण,
नवजीवन संचरण,
तितलिका भ्रमर का
अनुदिन गुंजन,
अंडाशय में निषेचन,
स्त्रीकेशर में परिवर्धन,
नव फलन,
 शनैः - शनैः विकसन।

झरते हुए 
पीत, नील , केशरिया
अरुण वर्ण दल ,
त्यागते रंग, सुगंध,
रूप का ध्वंसन,
मकरंद स्रोत का
 शोषण अनुदिन ,
परिवर्तित आकर्षण।

पादप -पुष्प -सा
मानव -जीवन,
रूप ,रंग ,सुगंध ,
मादक मकरंद  का 
सतत विकास ,
परागकण सुहास,
नवजीवन विकास
यौवन का प्रकाश,
नई पीढ़ी का 
जन्म , अवतरण।

शिशु , बाल , किशोर,
युवा ,प्रौढ़, वृद्धता का
परिपक्वन,
पीढ़ी -दर-पीढ़ी
संचरण।

पादप -मानव का 
समतुल्य विकास,
सुमन -सा
खिलता , मुरझाता ,
झरता , मरता
अनवरत क्रम कायांतरण,
सुमन -सा
 सुंदर मानव -जीवन ।

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🌷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

09.01.2020 ★4.30 अपराह्न।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...