गणतंत्र - दिवस की वेला है।
राष्ट्रीय - पर्व का मेला है।।
उन बलिदानों को हम याद करें,
निज लहू से जिन ने खेला है।
समता , एकत्व , बंधुता भव,
इस संविधान में फैला है।
संस्कृतियों के शुभ सप्त रंग
सभ्यता - सरित रस रेला है।
कीचड़ में खिलता कमल यहाँ,
उपवन में गेंदा , बेला है।
शुभ संविधान निर्माण दिवस,
दासता - दंश बहु झेला है।
है "शुभम" बधाई जन - जन को,
भारत माँ का सुत, चेला है।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
25 जनवरी 2020●8.15 अप.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें