गुरुवार, 30 जनवरी 2020

गीतिका



गणतंत्र   -   दिवस    की वेला है।
राष्ट्रीय  - पर्व      का    मेला  है।।

उन  बलिदानों को हम याद करें,
निज   लहू से जिन ने  खेला  है।

समता  , एकत्व ,     बंधुता  भव,
इस    संविधान    में   फैला  है।

संस्कृतियों     के   शुभ    सप्त रंग 
सभ्यता -   सरित   रस     रेला है।

कीचड़   में    खिलता   कमल यहाँ,
उपवन     में     गेंदा ,     बेला    है।

शुभ      संविधान  निर्माण दिवस,
दासता  -  दंश     बहु     झेला है।

है  "शुभम"   बधाई जन - जन को,
भारत   माँ   का   सुत,   चेला   है।

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"

25 जनवरी 2020●8.15 अप.

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