गुरुवार, 30 जनवरी 2020

चश्मा [ बालगीत ]


आँखों     का चश्मा  कहलाता।
साफ़-साफ़ हर चीज दिखाता।।

धुँधली या कम नज़र किसी की।
उसको  देता  मदद सही - सी।।
जो  आँखों  पर मुझे  लगाता।
आँखों  का   चश्मा कहलाता।।

टिका   नाक औ' दो  कानों पर।
दो  तल  और  क्षीण  बाँहों पर।।
छोटा   - सा   सेवक  बन जाता।
आँखों    का  चश्मा  कहलाता।।

जब  सोओ  तब  नहीं लगाओ।
मुझे  नयन   से   दूर  हटाओ।।
तभी    सुरक्षित  मैं  रह  पाता।
आँखों    का   चश्मा  कहलाता।।

जब वाहन  से  तुम  चलते हो।
आँखों में लप -झप करते हो।।
धूल ,धुएँ   से   सदा  बचाता।
आँखों  का   चश्मा कहलाता।।

पैरों   का  ज्यों  रक्षक   जूता।
नेत्र -  सुरक्षा   का   मैं  बूता।।
'शुभम'   खुशी से मुझे लगाता।
आँखों   का  चश्मा कहलाता।।

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🤓 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

27.1.2020◆7.15अपराह्न

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