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गाय मार के बछिया दान।
'उज्ज्वल' करनी बढ़िया शान।।
चेहरे पर चेहरों के खोल ,
जीवन अपना किया महान।
अबला देख टपकती लार,
कुछ नर हैं भेड़िया समान।
परदे के पीछे का खेल,
नज़र तीर - सी हिया कमान।
क्या अच्छा क्या कर्म बुरा,
नहीं मानता जिया जवान।
'शुभम' नीम - फल, आम नहीं,
जो बोया सो लिया प्रमान।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🎨 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
07.12.2019◆3.30अपराह्न।
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